Raabta – Arijit Singh

तुझ से किया है दिल ने बयाँ, किया निगाहों को ज़ुबाँवादा वफ़ा का कियातुझ से लिया है खुद को मिला, लिया दुआओं का सिलाजीने का सपना लिया
दिल के मकान में तू मेहमान रहा, रहाआँखों की ज़बान करे है बयान कहा, अनकहा
कुछ तो है तुझ से राबताकुछ तो है तुझ से राबताक्यूँ है ये? कैसे है ये? तू बताकुछ तो है तुझ से राबता
Mmm, मेहरबानी जाते-जाते मुझ पे कर गयागुज़रता सा लमहा एक दामन भर गयातेरा नज़ारा मिला, रोशन सितारा मिलातक़दीर का जैसे कोई इशारा मिला
तेरा अहसान लगे है जहाँ में खिला, हाँ, खिलासपनों में मेरे तेरा ही निशान मिला, हाँ, मिला
कुछ तो है तुझ से राबताकुछ तो है तुझ से राबताक्यूँ है ये? कैसे है ये? तू बताकुछ तो है तुझ से राबता
हद से ज़्यादा मोहब्बत होती है जोकहते हैं कि इबादत होती है वो
क़ुसूर है या कोई ये फ़ितूर है?क्यूँ लगे सब कुछ अँधेरा है, बस यही नूर है?कुसूर है या कोई ये फ़ितूर है?क्यूँ लगे सब कुछ अँधेरा है, बस यही नूर है?जो भी है मंज़ूर है
ओ, कुछ तो है तुझ से राबताकुछ तो है तुझ से राबता (तुझ से है राबता)क्यूँ है ये? कैसे है ये? तू बताकुछ तो है तुझ से राबता (क्या जाने, क्या पता)
कुछ तो है तुझ से राबताकुछ तो है तुझ से राबता (तुझ से है राबता)क्यूँ है ये? कैसे है ये? तू बताकुछ तो है तुझ से राबता (क्या जाने, क्या पता)
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