राज़ आँखें तेरी सब बयाँ कर रही सुन रहा दिल तेरी खामोशीयाँ
कुछ कहो ना सुनो पास मेरे रहो इश्क़ की कैसी है ये गहराईयाँ साया भी जिस्म से, होता है क्या जुदा जितनी भी ज़ोर की हो आंधियाँ
राज़ आँखें तेरी सब बयाँ कर रही सुन रहा दिल तेरी खामोशीयाँ
जीने का तू सहारा तू ही रौशनी कहता है हर सितारा मेरी तू चाँदनी हम जुदा हो जाएं ऐसा मुमकिन नही धूप हो तुम मेरी छाँव भी हो तुम ही पास हो तो दूर है तनहाईयाँ
मैं चलूँगा मुश्किलों में साया बन तेरा इस जहाँ में, उस जहाँ में बस इक तू मेरा खुशबुओं से तेरी महके जिस्म मेरा रात आएगी तो मैं सुबह लाऊँगा मौत आएगी तो लड़ जाऊँगा
साया भी जिस्म से होता है क्या जुदा जितनी भी ज़ोर की हो आंधियाँ कुछ कहो ना सुनो पास मेरे रहो इश्क़ की कैसी है ये गहराईयाँ